े ीय यापक आथक भागीदारी (RCEP)
े ीय यापक आथक भागीदारी (RCEP)
xxxxxxxxxx.xxx/xxxxx/xxxxxxxx/xxxxxxxx-xxxxxxxxxxxxx-xxxxxxxx-xxxxxxxxxxx-0
े ीय यापक आथक साझेदारी (RCEP) एक यापक े ीय आथक समझौता है। इस समझौते क औपचा रक शुWआत वष´
2012 से क गई, ■जसका उ(े)य आ■xxxx और इसके मुN यापार समझौते (FTA) के भागीदार सद5य- के बीच यापार
िनयम- को उदार एवं सरल बनाना है।
सद5यता:
आ■सयान सद5य
इसके
FTA सद5य
इंडोनेशया ऑ5ट7ेिलया
मलेशया चीन
िफलीĖपस जापान
↓सगाप <यूज़ील?ड
थाईल?ड द ण को रया Bूनेई
िवयतनाम लाओस Dयाँमार
कं बोडया
लFय:
े ीय यापक आथक साझेदारी (RCEP) के मा“यम से आथक वृI एवं समान आथक िवकास, अिKम आथक सहयोग और े मL यापक एक करण को बढ़ावा देना।
इसका उ(े)य व5तु एवं सेवा यापार, िनवेश, आथक तथा तकनीक सहयोग, बौIक संपदा और िववाद समाधान हेत काय´ करना है।
वष´ 2017 मL इसके 16 ह5ता रकVा´ प - (इसमL भारत भी शािमल था) ने 3.4 िबिलयन जनसंPया का
QतिनधRव िकया जो िक िवS क लगभग आधी जनसंPया के बराबर है, वहT इनका कु ल सकल घरल
(जीडीपी) 21.4 िट7 िलयन डॉलर था जो िक िवS क जीडीपी का 39 Qतशत है।
ू उRपाद
पृWृWभिूूिम
पूवX एशया े के देश- ने मNु यापार समझौत- के मा“यम से एक-दस मज़बूत िकया है।
xx के साथ यापार एवं आथक संबंध- को
आ■xxxx xxX0- का िनDनिलिखत 6 भागीदार देश- के साथ म पीपु[ु[स रपिēलक ऑफ चाइना (ACFTA)
को रया गणराčय (AKFTA)
जापान (AJCEP)
भारत (AIFTA)
ऑ5ट77ेिेिलया और <यूज़ूज़ील?ड?ड (AANZFTA)
यापार समझौता है:
सभी प - के म“य यापक एवं मज़ब संबंध 5थािपत करने तथा े के आथक िवकास मL सभी सद5य- क भागीदारी
बढ़ाने हेतु 16 सद5य देश- के Qतिनधय- ने े ीय यापक आथक साझेदारी क 5थापना क ।
RCEP, आ■सयान एवं इसके 6 FTA देश- से िमलकर बना है। इसका उ(े)य आथक संबंध- को मज़बूत करना,
यापार एवं िनवेश से संबंधत गतिवधय- को बढ़ाना तथा साथ ही सभी प - के म“य िवकास के अंतराल को कम करना है।
RCEP वाता´ दस आ■सयान सद5य राY7- एवं छह आ■सयान एफटीए भागीदार- के म“य नवंबर 2012 मL 21वL
आ■सयान xxx सDमेलन एवं अ<य संबंधत सDमेलन- के दौरान कं बोडया के `नोम पे<ह मL शVु क गई थी।
उ(े)े)य
आ■सयान सद5य राY7- एवं आ■सयान के FTA भागीदार- के म“य एक आधुिनक, यापक, उb-गुणवVापूण´ तथा पार5प रक Vप से लाभकारी आथक साझेदारी समझौता करना।
भारत cारा ह5ता र िकयेे गए Qमुखुख FTA
द ण एशया मुN यापार समझौता (SAFTA)
भारत-आ■सयान यापक आथक सहयोग समझौता (CECA) भारत-को रया यापक आथक भागीदारी समझौता (CEPA) भारत-जापान CEPA
भारत और RCEP
भारत नवंबर 2019 मL आ■सयान + 3 xxx सDमेलन के दौरान आरसीईपी से बाहर हो गया है, ■जसके िनDनिलिखत कारण ह?:
वय् ापार घाटेे मLL वृृI : म यापार समझौते के बाद आ■सयान, को रया एवं जापान के साथ भारत के व्यापार
घाटे मL वृI हुई है।
RCEP के कारण आयात Qश[ु क न होने क वजह से यापार घटा और बढ़ा सकता था जो िक वष´ 2018-19
मL 105.2 िबिलयन डॉलर था।
RCEP cारा Q5तािवत भारत क 92% व5तुएँ अगले 15 वषe तक टै रफ मुN ह-गी। अतः भारत को मौज़ूदा सभी व5तुओं मL 90% तक तक टै रफ कम करना पड़ेगा।
चँूिक आयात शु[क भी भारत के िलये राज5व का एक मPु य Cोत है अतः इस रयायत से सीमा शु[क राज5व के अनुपात मL कमी हो सकती है।
चीन के साथ भारत का यापार घाटा 53 िबिलयन डॉलर है, सीमा शु[क मL अधक कमी या इसे हटाने
से चीन से स5ते उRपाद- का अधक आयात होगा।
संवंवेदेदनशील सचूचू ी : RCEP के तहत अधकांश देश- मL उनके िलये संवेदनशील कु छ उRपाद-, जैसे- चावल, जूते,
डेयरी उRपाद एवं शहद पर बहुत अधक आयात Qश
List) के मा“यम से जारी रख सकते ह?।
भारत cारा दज´´ क गई आपिVयाँँ:
क लगता है, ■जसे वे संवेदनशील सू चय- (Sensitive
टै ै रफ का आधार वष´´: RCEP के प रणाम5वVप सभी सद5य देश- के टै रफ मL कमी आएगी। चँिू क वाता´ वष´ 2013 मL
श हुई थी,अतः समझौते मL Q5तािवत है िक आयात Qश क को कम करने के िलये 2013 आधार वष´ होगा। हालाँिक
भारत आयात Qश क को कम करने का आधार बदलकर वष´ 2019 करना चाहता था।
भारत ने वष´ 2014 से कई उRपाद- के सीमा श[ु क मL वृI क है।
भारत ने वi, ऑटो उपकरण- एवं इलेFट7 ॉिनक व5तुओं जैसे े क- के टै रफ मL औसतन 13% से 17% तक क वृI क है।
ऑटो-िट77गर तं ं : आयात मL अचानक उछाल आने पर ऑटो-िट7 गर तं का उपयोग िकया जाता है।
यह िनण´य लेने क अनमु त देगा िक कोई देश िकन उRपाद- पर समान रयायतL नहT देना चाहता है।
रचैचेटेट ऑिēलगेशेशन: भारत रचेट ऑिēलगेशन से मिु N चाहता है।
रचैचेटेट ऑिēलगेशेशन का अथ´ है िक यिद कोई देश िकसी अ<य देश के साथ यापार समझौते पर ह5ता र करता ह
एवं टै रफ हटाता या कम करता है तो वह इस फै सले से वापस नहT हट सकता है और न ही अधक QतबंधाRमक उपाय अपना सकता है।
डेटेटा 5थानीयकरण: RCEP के िह5से के Vप मL भारत चाहता है िक सभी देश- को डेटा क सुर ा का अधकार िमले।
सभी देश अ<य देश- मL सूचना के ह5तांतरण को रोक सकL ।
सेवेवा े े क: भारत ने मांग क है िक आ■सयान देश- को अपने सेवा े को खोलना चािहये तािक भारतीय पेशेवर उनक बाज़ार मL आसानी से Qवेश कर सकL ।
हालािँ क आ■सयान देश इस े के बारे मL बहुत संवेदनशील ह? एवं उ<ह-ने एक-दस क पेशकश नहT क है।
xx के सामने भी उदारीकरण
मूललू देशेश का िनयम: भारत चाहता है िक उन सद5य देश-, ■जन पर शु[क कम हो अथवा लगता ही न हो, के मा“यम से
चीन क व5तुएँ देश मL आने से रोकने हेतु म देश के सPत िनयम ह-।
चीनी वi द ण एशया म आ रहे ह?।
यापार समझौता एवं श
क मNु माग´ के मा“यम से बांkलादेश के ज़ रये भारत मL
Q5तािवत े - मL से िनDनिलिखत े समझौते मL Wकावट डालते ह?:
डेयेयरी: भारतीय घर- मL दध
एवं डेयरी आlत अ<य उRपाद- क खपत को देखते हुए डेयरी भारत के िलये महmवपूण´ है।
<यूज़ील?ड डेयरी उRपाद- का एक िनयात´ क है तथा दध पाउडर एवं वसायN उRपाद बेचने के िलये इसक नज़र
भारत पर होगी। भारत, दध एवं दkु ध उRपाद- के सबसे बड़े उपभोNाओं मL से एक है और अभी तक इस े मL
आRमिनभ´र रहा है तथा कभी-कभी अत रN उRपादन करता है। <यूज़ील?ड का Qवेश इस प र5)य मL प रवत´न ला सकता है।
वष´ 2018 मL <यूजील?ड के दध उRपादन का 83.6% िनयात´
पाउडर उRपादन का 93.4%, मFखन उRपादन का 94.5%, एवं पनीर
िकया गया। भारत दkु ध उRपाद- के िनया´त क 5िY से ऐसी ि5थत मL नहT है।
बाहरी आयात से Kामीण े - मL 50 िमिलयन लोग रोज़गार िवहीन हो सकते ह?, इससे आयात क आव)यकता और अधक बढ़ जाएगी।
ऑटोमोबाइल: RCEP के कारण चीन से ऑटोमोबाइल उपकरण- क "बैक-डोर एंट7 ी" हो सकती है।
वi: चीन, िवयतनाम, बांkलादेश एवं अ<य देश- से पॉिलए5टर कपड़- का श
क मुN आयात के कारण पहले ही
परश
xxx का सामना कर रहा है, इससे वi े क और अधक Qभािवत हो सकता है।
वi उhोग े मL चीन के साथ भारत का यापार घाटा बढ़ने क संभावना है जो भारत के घरल
िनमा´ताओं के िलये हािनकारक हो सकता है।
ू कपड़ा
इ5पात: इ5पात उhोग को भी चीन से च ौतयाँ है िक अRयधक आयात घरल
ू बाज़ार को नुकसान पहुँचा सकता है।
इससे भारत क िनया´त Qत5पIा´ को न
सान होगा Fय-िक देश मL यापार संतुलन पहले से ही असंतिु लत है।
कृृ िष: चाय, कॉफ , रबर, इलायची एवं काली िमच´ के बागान- के एक शीष´ िनकाय ने कहा िक आरसीईपी से इस े क
ि5थत को और अधक न सान होगा जो पहले से ही मंदी का सामना कर रहा है।
उRपाद- मL तीq Qत5पIा´ होगी और देश मL आयात क संभावना समय के साथ बढ़ेगी।
आगेे क राह
मौज़दूूदा समझौत- को स5ु5ु ढ़ करना: आ■xxxx, जापान और को रया के साथ यापार एवं िनवेश समझौते, साथ ही
मलेशया एवं ↓सगाप के साथ िcप ीय यव5था को मज़बूत िकया जाना चािहये।
उRपाद- क माक`` Ėटग: भारतीय उRपाद- क मौज़ूदा बाजार- के साथ-साथ अ<य देश- जहाँ भारत का कम िनयात´ है, वहाँ भी उRपाद- क माक` Ėटग क जानी चािहये।
भारतीय उhोग ■जनका इन बाज़ार- मL यवसाय है, को ल त Qचार रणनीतय- से लाभ िमल सकता है यिद भारतीय उRपाद Qत5पIX ह- एवं उ<हL वरीयता दी जाए।
िनया´त िविवधता: xxxx का एक तेज़ी से िवक■सत होने वाला महाcीप ■जसक िनया
मL िह5सेदारी लगभग 9% है तथा
लैिटन अमे रका का भी वत´मान िनया मा 3% है, यहाँ िनया´त बढ़ाकर भारत लाभाि<वत हो सकता है।
प&म एशया भी िव5तृत होता एक बाज़ार है जहाँ भारत िनया´त से लाभाि<वत होता है।
भारत को िनया रणनीत के िलये दोतरफा 5िYकोण क आव)यकता है, पहला घरल
ू Qत5पIा´ को बढ़ाने एवं
ल त Qचार गतिवधय- को शुV करना और दसरा दोन- पर “यान कL ि7त करना।
यापक आथक सुधुधार: िवशेष Vप से भिू म, lम और पूंजी बाजार- मL आथक सधु ार होने चािहये।
यह समK िविनमा िनवेश- को आव)यक QोRसाहन Qदान करगा।
घरलू िविनमा´ण के िलये यापार क लागत कम करना, सही बुिनयादी अवसंरचना का िनमा
करना, सीमाओं
पर तेज़ी से और अधक कु शल यापार सुिवधाएँ सिु न&त करना आिद।
िनया´त´त लFय मLL वृृI: अपने िनमा ाओं और िनयात´ क- को बाज़ार- के बारे मL जानकारी Qदान करना, िवशेष Vप से छोटे
उhम- को िवपणन Qयास- के मा“यम से सहायता करना।
QतबI एजL■सयाँ बनाना एवं िवदेश- मL पेशेवर िवपणन िवशेषv यN काया´लय 5थािपत करना, जो िनया´त को
बढ़ावा दL तथा संप ´ िवS के Qमुख बाज़ार- मL भारतीय िनया´तक- के साथ खरीदार- को जोड़ने का काम कर।
बाहरी एक करण रणनीत: देश को िवभw मंच- पर अपने िहत- को Q5त
करने क आव)यकता है।
देखा जाए तो RCEP के 12 सद5य- के साथ भारत के पहले से ही xxxxx और िनवेश समझौते ह?, अतः
आरसीईपी सद5य- के साथ िनया बढ़ाने का माग´ अभी भी खला हुआ है।
अ<य भौगोिलक े - मL नए अवसर- क खोज करते हुए मौज़ बाज़ार- के साथ-साथ हमारे िनयात´ मL भी िविवधता लाएगा।
ा समझौत- का बेहतर ढंग से उपयोग हमार