म यापार समझौते (FTA) क) वाता´ को िफर से शुV करने क) आव/यकता पर सहमत यN क)। दरअसल, इस वाता´ पर
भारत तथा यूरोपीय-यूिनयन म
यापार समझौता
xxxxxxxxxx.xxx/xxxxx/xxxxxxxx/xxxx-xxxxx-xxxxxxxxx-xxxxxxx-xxxxx-xxx-xx
संदंदभ´´
xxx ही म अपनी जम´नी या ा के दौरान, धानमं ी नर7 मोदी और जम´न चांसलर एंजेला माक` ल ने भारत-यूरोपीय संघ (ई.xx.)
म यापार समझौते (FTA) क) वाता´ को िफर से शुV करने क) आव/यकता पर सहमत यN क)। दरअसल, इस वाता´ पर
िवभ3 म 5 के चलते 2013 के बाद से ही गतरोध बना हुआ है। इस समझौते के ावधान5 म यापार, िनवेश संर9ण और
बौ;क संपदा अधकार जैसे मु4े शािमल ह<।
मह=वपूण
´´ Ėबदुु
xxx ही म भारत ?ारा जम´नी सिहत यूरोपीय संघ के कई सद5य देश5 के साथ ि?प9ीय िनवेश संधय5 (BIT) को अपनी तरफ से समाA कर िदया गया है, ■जसके कारण अनेक यूरोपीय िनवेशक भारत म िनवेश करने से कतरा रहे ह<। दरअसल, उनक) चता मEु य Vप से िनवेशक5 के िहत5 के संर9ण को लेकर है।
लेिकन भारत िनवेशक5 के संर9ण सिहत सभी मु45 पर एफ.xx.ए. वाता´ को िफर से श इससे िनवेशक5 का भारत के त िवHास मज़बूत होगा।
करने के िलये तैयार है। अत:
यूरोपीय संघ (EU) ने ↓सगापुर के साथ 2010 से 2013 के बीच ‘िनवेशक-राčय िववाद िनपटान’ (ISDS) तं सिहत
टैLरफ म कमी, बौ;क संपदा अधकार और िनवेश संर9ण आिद से संबंधत िवषय5 पर एक एफ.xx.ए वाता´ क) थी।
ई.xx.-↓सगाप एफ.xx.ए. म आई.एस.डी.एस. यह ावधान करता है िक िनवेशक, मेज़बान देश के िखलाफ उस देश क)
अदालत म िववाद याचका दायर कर सकता है जहाँ िनवेश िकया गया है। साथ ही, यह िववाद5 पर अंतरा म“य5थता का ावधान भी करता है।
Rीय
यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ के सद5य देश5 म इस बात पर भी मतभेद ह< िक एफ.xx.ए. समझौत5 को कौन मंज़ूरी देगा। x.xx.xx. (European court of justice - ECJ) ने फै सला िकया िक यूरोपीय संघ को ‘गैर- Tय9 िवदेशी
िनवेश’ को छोड़कर एफ.xx.ए. के लगभग सभी पहल ं पर फै सला करने का अनXय अधकार है।
उपय´N िनण´य भारत सिहत यूरोपीय संघ के साथ चल रही अXय एफ.xx.ए. वाता ं को भी भािवत कर सकता है।
ई.xx.ू. के
पास Fया हैै िवकZप?
थम, ई.xx. भिव4य म होने वाले एफ.xx.ए म से आई.एस.डी.एस. 5ॉज़ को अलग रखने का फै सला कर सकता है। अत: भारत इस ावधान पर अपनी सहमत यN कर सकता है। हालािँ क, यह संभावना कम ही है िक यूरोपीय संघ परू ी तरह से आई.एस.डी.एस. xxxx को Tयाग देगा। इसे xxx ही म हुए ‘ई.xx.-कनाडा एफ.xx.ए. म देखा जा सकता है, ■जसम आई.एस.डी.एस. 5ॉज़ का ावधान िकया गया है।
दसरा, यूरोपीय संघ आई.एस.डी.एस. ावधान5 के साथ एफ.xx.ए. पर बातचीत कर सकता है। हालािँ क, यह िवकZप
संभव नह^ है, Fय5िक यूरोपीय संघ के सभी सद5य देश इस तरह के एफ.xx.ए. को अपनी सहमत नह^ द गे।
तीसरा, आई.एस.डी.एस. ावधान5 के िबना म य एफ.xx.ए. पर बातचीत कर सकता है लेिकन यह आई.एस.डी.एस.
ावधान5 को एक ‘वैकिZपक ोटोकॉल’ का िवषय बना देता है। अत: यूरोपीय संघ के ■जन सद5य देश5 ने इस वैकिZपक ोटोकॉल को लागू करने क) पिु Q क) है उनको आई.एस.डी.एस. ावधान5 को लागू करने के िलये सै;ांतक Vप से बा“य बनाएगा।
भारत के
सामनेे चनु
ौतयाँ
मान ल िक यूरोपीय संघ ‘ई.xx.-कनाडा एफ.xx.ए.’ क) तज़´ पर उपय´N
तीसरे िवकZप के Vप म आई.एस.डी.एस. को
‘वैकिZपक ोटोकॉल’ के Vप म चनु ता है तो भारत को इस िवकZप के बारे म तीन मोच` पर सावधानीपूव´क िवचार करना चािहये, जैसे:
पहला, Fया भारत को िवदेशी िनवेशक5 को घरल
ू अदालत5 म मामले को 5तुत िकये िबना अ
रा´QRीय िटR ēयूनल म
याचका दायर करने क) अनमु त देनी चािहये? 2016 के ‘xxxxxx xx.xx.xx. मॉडल’ म यह ावधान है िक कोई भी
िवदेशी िनवेशक ‘अंतरा Rीय Xयायाधकरण’ म तभी याचका दायर कर सकता है जब उसने कम से कम पाँच साल पहले
घरलू अदालत म याचका दायर क) हो।
xxx xx, Fया भारत एक बहुप9ीय िनवेश अदालत (multilateral investment court, MIC) 5थािपत करने और
इस Xयायालय के अधकार 9े को 5वीकार करने के िलये तैयार है? इसका मतलब यह होगा िक सभी xx.xx.xx.
िववाद xx.xx.xx. ?ारा तय िकये जाएंगे न िक िकसी ‘तदथ´ म“य5थता’ के ?ारा। एक xx.xx.xx. को िवक■सत
करने के अनेक लाभ ह5गे Fय5िक यह वत´मान ‘आई.एस.डी.एस. णाली’ के दोष5 को दर करने म मदद करगा। िकसी
प9 ?ारा िनयN म“य5थ5 के िवपरीत xx.xx.xx. णाली ऐसे Xयायाधीश5 को िनयN करगी ■जXह अंतरा Rीय िनवेश
काननू 5 (IIL) म िवशेषcता ाA हो। ऐसा करने से xx.xx.xx. णाली म पारदशता आएगी।
तीसरा, xx.xx.xx. के बनने तक, Fया भारत एक अपीलीय तं के Vप म ‘ि?प9ीय िनवेश अदालत णाली’ क
िनमा´ण को 5वीकार करगा।
िन4कष´
भारत ?ारा इस तरह के एफ.xx.ए. िवभ3 देश5 के साथ िकये गये ह< तािक देश के यापार-वाणčय को बढ़ावा िमल सके । वत´मान म 5तािवत भारत-ई.xx. एफ.xx.ए. म अनेक म4ु े शािमल ह< ■जनका समाधान भारत को ‘राQRीय िहत5’ को “यान म
रखकर ही करना चािहये, Fय5िक लोकतं कान के शासन पर आधाLरत होता है। अत: भारत को एक xx.xx.xx. जैसी
मज़बूत और पारदशf अंतरा´QRीय Xयायक णाली बनानी चािहये तथा भारत को यूरोपीय संघ के साथ एफ.xx.ए. वाता ं म
सिgय Vप से भाग लेना चािहये। देश को यह भी सिु न&त करना चािहये िक राčय क) िनयामक सं5थाएँ िवदेशी िनवेशक5 क
िहत5 क) र9ा कर न िक उXह अनाव/यक परशान कर।