भारत सिंगापुर के बीच दोहरे कराधान समझौता (double tax avoidance agreement-DTAA) अमल में आ गया है, जिससे दोनों ही देशों को महत्त्वपूर्ण लाभ प्राप्त होने की पूरी सम्भावना है। डीटीएए संशोधन के इस प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये जाने से भारत और सिंगापुर के बीच...
भारत-सिंगापुर के बीच अमल में आया डीटीएए
समाचारों में क्यों?
भारत सिंगापुर के बीच दोहरे कराधान समझौता (double tax avoidance agreement-DTAA) अमल में आ गया है, जिससे दोनों ही देशों को महत्त्वपूर्ण लाभ प्राप्त होने की पूरी सम्भावना है। डीटीएए संशोधन के इस प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये जाने से भारत और सिंगापुर के बीच कर स्थिरता सुनिश्चित होगी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, इससे दोनों देशों के बीच पारदर्शिता के साथ ही निवेश, प्रौद्योगिकी एवं सेवाओं का प्रवाह बढ़ेगा।
भारत-सिंगापुर डीटीएए के लाभ
विदित हो कि आय पर करों के संबंध में दोहरे कराधान और राजकोषीय अपवंचन की रोकथाम के लिये भारत और सिंगापुर ने एक तीसरे प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करके दोहरे कराधान से बचाव संबंधी समझौते (डीटीएए) में संशोधन करने का फैसला किया था। संशोधन के अंतर्गत भारत ने राजस्व की हानि और काले धन को वापस लाने संबंधी समस्याओं के हल के रूप में जानकारी के आदान-प्रदान को स्वतःआधारित बनाने पर ज़ोर दिया था। गौरतलब है कि भारत और मॉरीशस के बीच डीटीएए में संशोंधन से संबंधित एक ऐसा ही समझौता पहले ही अमल में आ चुका है, जिसमें भारत को मॉरीशस के रास्ते होने वाले निवेश पर पूंजीगत लाभ कर लगाने का अधिकार मिल गया था।
गौरतलब है कि मानक लेखा प्रक्रियाओं द्वारा कर पारदर्शिता को सुधारने के उद्देश्य से आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के सदस्य देशों के साथ दो दशक लंबी वार्ताओं के बाद डीटीएए समझौता संपन्न हो पाया है। भारत सहित दुनियाभर के 101 देश डीटीएए समझौते को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
ओईसीडी नियमावली के अनुसार, इन सभी 101 देशों के बैंक दूसरे देशों के लोगों की पहचान करके उनसे जुड़ी जानकारियाँ संबंधित देशों के कर विभागों को उपलब्ध कराएंगे। विदित हो कि ये सूचनाएँ अन्य देशों के साथ हर साल साझा की जाएंगी। इसके तहत लोगों के बैंक खातों, खातों से संबंधित ब्योरे, खाते में अर्जित आय और खाताधारक की पहचान से संबंधित जानकारियाँ स्वत: साझा की जाएंगी।
निष्कर्ष
ध्यातव्य है कि पनामा, बहामास, मॉरीशस, सिंगापुर, हांगकांग जैसे देशों को आमतौर पर ‘टैक्स हैवेन’ माना जाता है, यहाँ लोग कर चोरी से बचाए गए अपने काले धन को जमा करते हैं। भारत जहाँ मॉरीशस से पहले ही ऐसे समझौते को अमल में ला चुका है वहीं अब यह घटनाक्रम काले धन पर अंकुश लगाने के क्रम में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
सिंगापुर से भारत के पूंजी बाज़ार में विदेशी निवेश का बड़ा हिस्सा आता है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 के मार्च-अप्रैल की अवधि में भारत में विदेशी निवेश के मामले में सिंगापुर पहले स्थान पर था। भारत और सिंगापुर द्वारा अमल में लाए जा रहे डीटीएए का यह तीसरा प्रोटोकाल संशोधन, शेयरों के हस्तांतरण से उत्पन्न पूंजी को स्रोत आधारित कराधान प्रदान करने के लिये 1 अप्रैल, 2017 से लागू हो जाएगा।
वर्तमान में भारत-सिंगापुर डीटीएए, एक कंपनी में शेयरों पर पूंजीगत लाभ के लिये निवास आधारित कराधान प्रदान करता है। वर्ष 2019 से सिंगापुर, सिंगापुर में भारतीयों द्वारा किये गए निवेश की जानकारी भारत को देगा और इससे कर चोरी के एक प्रचलित माध्यम को बंद किया जा सकता है।
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