करार (revised Model Concession Agreement) को मजरू ी दे दी। सरकार ारा यह कदम माहौल को िनवेश-
बंदरगाहों की
पीपीपी
पिरयोजनाओं के
िरयायती
करार
म™
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चचा’ म™ यों
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बंदरगाहों की साव’जिनक-िनजी भागीदारी (पीपीपी) पिरयोजनाओं के िलये संशोिधत िरयायती
करार (revised Model Concession Agreement) को मजरू ी दे दी। सरकार ारा यह कदम माहौल को िनवेश-
अनकू ल और बेहतर बनाने के उ5े य से उठाया गया है।
करार के प्रमखु िबंदु
इस करार म™ प्रावधान िकया गया है िक बंदरगाहों के िवकास म™ शािमल कं पिनयों अथवा डेवलपस’ को पिरयोजना क पिरचालन के 2 साल पूरे के होने के बाद अपनी पूरी 100 प्रितशत िहYसेदारी बेचकर करार से बाहर िनकलने की सिु वधा प्रा त होगी।
िरयायत पाने वाले को अितिर त ज़मीन िदये जाने के प्रावधानों के तहत जमीन का िकराया 200 प्रितशत से कम कर 120 प्रितशत कर िदया गया है।
संशोधन के तहत िववाद सलझाने के िलये सोसायटी फॉर अफोड“बल रीड्रेसल ऑफ िडY xx स-पो स
(SAROD-Ports) के गठन की भी बात की गई है। इससे इस Sेतर तरह िववाद िनपटान प्रणाली तैयार हो जाएगी।
म™ भी राजमागY (Highways) के MCA की
छू ट धारकों को ‘प्रित मीिट्रक टन माल/टीईयू ह ड ड’ के आधार पर xxx xx देनी होगी, जो वािष’क डē यूपीआई म™ उतार-चढ़ाव के म5ेनजर तय होगी। यह xxx xx, वसूल करने की वत’मान प्रिक् रया के Yथान पर लागू होगी, जो
कु ल राजYव के प्रितशत के बराबर होगी। इसे बोली के दौरान िनधा’िरत िकया जाएगा और िजसकी गणना महापKन प्रश ु क प्रािधकरण (Tariff Authority for Major Ports) ारा िनधा’िरत अिगर् म मानक प्रश ु क सीमा के आधार पर की जाएगी।
इससे साव’जिनक-िनजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत संचालकों की लंिबत िशकायतों को दर करने म™ मदद िमलेगी।
नए करार म™ अब ‘वाYतिवक पिरयोजना लागत’ को ‘कु ल पिरयोजना लागत’ म™ बदला जाएगा।
छू ट धारकों को अब बड़ी Sमता वाले उपकरण, सिु वधाए, प्रौBोिगकी लगाने म™ YवायKता होगी और वे उ च
उ पादकता तथा बेहतर इYतेमाल के िलये अिभयांितर् की का उपयोग कर सक™ गे। इसके अलावा पिरयोजना की लागत म™ भी बचत होगी।
सीओडी (Commercial Operation Date) के पहले संचालन शV होने के संबंध म™ प्रावधान।
दोबारा िवKपोषण के प्रावधानों के संबंध म™ उ5े य यह तय िकया गया है िक छू ट धारकों को सYती दर पर
xxx’कािलक िनिधयों की उपलēधता हो, तािक पिरयोजनाओं की िवKीय उपादेयता म™ सधार हो।
पिरयोजना की समय-समय पर प्रगित िरपोट’ जानने के िलये एक िनगरानी cयवYथा की शVआत की गई है।
िपछले 20 वषY के दौरान बंदरगाह Sेतर
म™ पीपीपी पिरयोजनाओं के प्रबंधन से प्रा त होने वाले अनभ
वों के म5ेनज़र इन
संशोधनों का प्रYताव िकया गया है। इसके अलावा मौजदा एमसीए के कु छ प्रावधानों के कारण होने वाली समYयाओं को समा त करने की दिृ 9ट से भी संशोधनों का प्रYताव िकया गया है। िहतधारकों के साथ गहन िवचार-िवमश’ के बाद एमसीए के संशोधनों को अंितम Vप िदया गया है।